एक डायरी जिसने मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने पर कर दिया था मजबूर, बीजेपी नेता मदन लाल खुराना के पर्दा गिरने का किस्सा

नई दिल्ली : दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीख करीब आ रही है। बीजेपी इस बार 26 साल के जीत का सूखा दूर करने की पुरजोर कोशिश में जुटी हुई है। एक समय था जब दिल्ली में बीजेपी का दबदबा रहता था। दिल्ली को पार्टी का गढ़ कहा जाता था। दिल्ली कहानी में आज

4 1 2
Read Time5 Minute, 17 Second

नई दिल्ली : दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीख करीब आ रही है। बीजेपी इस बार 26 साल के जीत का सूखा दूर करने की पुरजोर कोशिश में जुटी हुई है। एक समय था जब दिल्ली में बीजेपी का दबदबा रहता था। दिल्ली को पार्टी का गढ़ कहा जाता था। दिल्ली कहानी में आज चर्चा बीजेपी के उस नेता की जो दिल्ली में बीजेपी का पर्याय था। 1993 में जब दिल्ली में पहली बार पूर्ण विधानसभा के चुनाव हुए तो बीजेपी ने शानदार जीत हासिल की थी। इस चुनाव में बीजेपी ने 70 में से 49 सीटों पर जीत हासिल की। यह एक तरह से दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव था। जीत के बाद खुराना दिल्ली की सीएम की गद्दी पर बैठे। हालांकि, हवाला स्कैम से जुड़े एक मामले में सुरेंद्र जैन की डायरी में खुराना का नाम आया। इसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
इससे पहले 1953 में जब दिल्ली में चुनाव हुए थे तो उस समय दिल्ली अंतरिम विधानसभा थी। उस समय दिल्ली में अंतरिम विधानसभा के तहत 48 सीटें थी। बाद में 1991 में 69वें संविधान संशोधन के जरिये दिल्ली नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली बनी। इससे दिल्ली को विशेष दर्जा भी मिला। पूर्ण विधानसभा बनने के बाद दिल्ली में सीटें 48 से बढ़कर 70 सीटें हो गईं। 1993 के चुनाव में 6 राष्ट्रीय दलों, 3 स्टेट लेवल की पार्टियां और 41 नॉन रजिस्टर्ड पार्टियों के अलावा निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इस बार दिल्ली की 70 सीटों पर कुल 1316 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इसमें 59 महिलाएं भी शामिल थीं। इस चुनाव में बीजेपी ने दमदार प्रदर्शन किया।

मदन लाल खुराना बने मुख्यमंत्री

बीजेपी की जीत में मदन लाल खुराना ने अहम भूमिका अदा की थी। मदन लाल खुराना ने खुद मोती नगर विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी। खुराना ने 2 दिसंबर 1993 को दिल्ली के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। दरअसल, खुराना का पार्टी में कद काफी बड़ा हो चुका है। पंजाबी समुदाय से संबंध रखने वाले खुराना की दिल्ली में अन्य वर्गों पर भी मजबूत पकड़ थी। खुराना दिल्ली में बीजेपी की जड़े मजबूत करने वाले नेताओं में से एक थे।

दिल्ली का शेर मदन लाल खुराना

खुराना ने मल्होत्रा, केदार नाथ साहनी और कंवर लाल गुप्ता के साथ मिलकर 1960 के दशक में भारतीय जनसंघ की दिल्ली शाखा की स्थापना की। वे महानगर पार्षद थे। इसके बाद उन्हें पार्टी का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया। बाद में वे कार्यकारी पार्षद बन गए। एक फील्ड वर्कर से खुराना महानगर परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हुए और अंततः मुख्यमंत्री के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। वे निडर थे और उन्हें 'दिल्ली का शेर' कहा जाता था। उन्होंने दिल्ली में सांसद, विधायक और महानगर पार्षद के 11 चुनाव लड़े। इन 11 में से उन्होंने 10 चुनाव में जीत हासिल की। खुराना सच्चे मायनों में जननेता थे।

हवाला स्कैम...डायरी में नाम ने खत्म की चमक

खुराना को दिल्ली की गद्दी संभाले 2 साल से अधिक का समय हो चुका था। इस बीच जैन हवाला डायरी कांड को लेकर देशभर में खूब चर्चा थी। इस हवाला स्कैम में दिल्ली के सीएम रहे मदन लाल खुराना का भी नाम आया। जैन बंधुओं से जुड़े 65 करोड़ के हवाला घोटाले में बीजेपी नेता का नाम आने के बाद उनपर दबाव बढ़ने लगा था। सुरेंद्र जैन की डायरी में मदन लाल खुराना का नाम आया था। खुराना पर कथित रूप से 1989 में हवाला कारोबारी जैन बंधुओं से 3 लाख रुपये लेने का आरोप लगा। इसके बाद उन्होंने 2 साल 86 दिन के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

सत्ता में यह पहली बार हुआ था कि इस तरह से किसी सीएम को पद छोड़ना पड़ा हो। 1996 में सीबीआई ने खुराना के खिलाफ हवाला कांड में चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मांगी थी। हालांकि, बाद में खुराना इस मामले में अदालत से बरी हो गए। स्पेशल जज वीबी गुप्ता ने बीजेपी नेता को पैसे लेने के आरोप से बरी कर दिया। प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। इस मामले में रिहा होने के बाद खुराना ने कहा था कि हवाला मामले में सीबीआई की तरफ से उनका नाम लिए जाने के 'आधे घंटे के भीतर' उन्हें 'सार्वजनिक पद की गरिमा की रक्षा' के लिए इस्तीफा देने के लिए कहा गया।

2018 में हो गया निधन

खुराना का जन्म 15 अक्टूबर, 1936 को पश्चिमी पंजाब (वर्तमान में पाकिस्तान) के लायलपुर में हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया। उस समय खुराना करीब 12 साल के थे। दिल्ली में आने के बाद उन्होंने कीर्ति नगर में रिफ्यूजी कॉलोनी में शरण ली थी। खुराना ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से मास्टर्स और गांधी मेमोरियल कॉलेज, श्रीनगर से बी.एड. की डिग्री ली। खुराना साल 1965 से 1967 एवं 1975 से 1977 तक भारतीय जनसंघ, दिल्ली के महासचिव रहे। 27 अक्टूबर 2018 को मदन लाल खुराना का निधन हो गया। निधन से करीब पांच साल पहले उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ था। उसके बाद से और वह बीमार रहते थे। अंतिम समय में उन्हें सीने में संक्रमण और सांस लेने में दिक्कत थी।

\\\"स्वर्णिम
+91 120 4319808|9470846577

स्वर्णिम भारत न्यूज़ हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.

मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Laptops | Up to 40% off

अगली खबर

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने लिया अंगदान का संकल्प

News Flash 20 जनवरी 2025

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने लिया अंगदान का संकल्प

Subscribe US Now